वड़ा पाव, कहां जाता है मुंबई माई रोजना 5 लाख से ज्यादा लोग वड़ा पाव खाते हैं।
मुंबई का स्ट्रीट फूड वड़ा पाव। जैसी मुंबई की जान लोकल ट्रेन वैसी ही वडा पाव मुंबई की शान है आम इंसान से लेकर अमीर तक वड़ा पाव खाते हैं। जब कढ़ाई से ताज़ा तले हुए बटाटा वड़ा को पाव के बीच में डालकर मीठी और खट्टी चटनी के साथ परोसा जाता है तब ये वड़ा पाव बनता है ,
10-20 रुपये में मिलने वाला वड़ा पाव मुंबई के सभी लोगों को पसंद है,
साल 1960 मुंबई में रहने वाले दक्षिण भारतीयों ने जगह-जगह उडुपी रेस्तरां खोल लिया, हमारे समय इडली वड़ा काफी लोकप्रिय नाश्ता हो गया था, मुंबई के लोगो के लिए
उस समय बाला साहेब ठाकरे शिव सेना के संस्थापक थे, उन्होंने मुंबई के लोगो से अपील की कि वो अपना खुद का बिजनेस शुरू करें। 1966 मई अशोक वैद्य के नाम के मुंबई निवासी ने दादर स्टेशन के बाहर अपनी स्टॉल खोली जहां वो वादा और पोहा बेचने लगे। इस स्टॉल पर परेल और वर्ली इलाके के काफी सारे मिल मजदूर आए थे।
एक दिन अशोक जी ने पाव में चटनी लगा कर और वड़ा को बीच मे रख बेचने का प्रयोग किया। और यहां से वड़ा पाव की शुरुआत हुई और बाला साहेब ठाकरे का भी पसंदीदा बन गया।
आज भी दादर स्टेशन के बाहर वही स्टॉल आपको मिल जाएगा (कीर्ति कॉलेज वड़ा पाव सेंटर) मिल जाएगा।