न्यूमोकोनियोसिस फेफड़े की एक ऐसी बीमारी है। जिसका कार्यस्थल माई डस्ट एक्सपोजर के कारण फेफड़े कामजोर हो जाते हैं
और सांस लेने में परेशानी होती है उदाहरण- जैसे कि अगर कोई व्यक्ति स्टील की फैक्ट्री, कोयले की खदानें काम करने वाले फेफड़ों में सांस के साथ धूल के कण अंदर चले जाते हैं,
तो इस फेफड़े से मुझे सुजन फाइब्रोसिस (फेफड़ों के ऊतकों का मोटा हो जाना) की समस्या हो सकती है है
फ़ाइब्रोसिस के करण फेफड़े माई एयरवेज़ सिकुड जाते हैं,ये समय लम्बे समय तक धुल भरे वातावरण में काम करने से होती है:
-कोयला खनन में काम करने वाले मरीज को ‘ब्लैक लंग डिजीज’ हो जाती है.
-जो लोग सिलिका डस्ट में काम करते हैं उन्हें सिलिकोसिस की समस्या हो सकती है.
-जो लोग हवा की धूल में काम करते हैं,वे असेबस्टोटिस हो सकती हैं,अलग-अलग तरह की धूल में काम करने से अलग-अलग समस्या होती है.
-ग्रेनाइट और मार्बल की खदानों में काम करने वाले लोगो को भी यही दिक्कत होती है.
न्यूमोकोनियोसिस के लक्षण :
1 सांस लेने में तकलीफ होना
2 सांस लेते समय खांसी आना
3 खांसी से बलगम आना
4 इसमे बार बार फेफड़े में संक्रमण होना
इलाज:
-न्यूमोकोनियोसिस का कोई इलाज नहीं है
-इसकी जांच CT SCAN और X-RAY के लिए की जाती है
-इस समस्या का कोई इलाज नहीं है, इसलिए जो लक्षण दिख रहे हैं उन्ही का इलाज किया जाता है
उदाहरण:
-जैसे किसी की सांस फुल रही है तो उसका इलाज करना होगा
-किसी को खांसी आ रही है तो खांसी का इलाज किया जाएगा
-अगर बीमारी बढ़ जाती है तो लंग ट्रांसप्लांट कराने की जरुरत पड़ सकती है
बचाव :
-अगर आप धूल वाली जगह पर काम कर रहे हैं तो मास्क लगा कर काम करें
-धूल वाली जगह पर काम जाए
Bahut hi badiya jaankaari